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सत्य ख़बर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज:
गुरुग्राम नगर निगम में हो रहे भ्रष्टाचार की पोल आए दिन खुलती जा रही है, निगम में हो रहे भ्रष्टाचार का एक ताजा कारनामा सामने आया जिसमें निर्वातमान पार्षदगण निगम में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से लाखों रुपए हर महीने चूना लगा अपनी जेबें भर रहे हैं। जिसका खुलासा गांव सुखरली के पूर्व सरपंच नरेश सहरावत ने किया है।
पूर्व सरपंच नरेश सहरावत में जानकारी देते हुए बताया कि उनके वार्ड 6 के पार्षद निगम में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों की मिली भगत से फील्ड सुपरवाइजर सचिन कपूर,संजय गाबा, दलजीत सिंह यादव के नाम पर अभी भी फर्जी तरीके से घर बैठे सैलरी दिलवाता है, जबकि यह तीनों ही अपने-अपने किसी अन्य काम में लगे हुए हैं, इनमें से एक वकील ,एक अपनी स्वयं की दुकान चलाता है तथा एक गार्बेज वालों से अभी अवैध वसूली करता है, उन्होंने स्वयं भी इस बात की तस्दीक की है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र का पार्षद निगम में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों की मिली भगत से हर महीने उनके नाम से करीब ₹60-70 हजार रुपए ले रहा है, और यह राशि तभी से लगातार लेते आ रहे तब से पार्षदों का कार्यकाल समाप्त हुआ है, वहीं उन्होंने बताया कि इसके लिए निगम की तरफ से एक आदेश जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि जितने भी कर्मचारी निगम ने पार्षदों के पास भेजे हुए थे,उन सभी को निगम ने वापस बुला लिया है। लेकिन फिर भी सरकारी आदेश को दर किनारे करते हुए मिली भगत से अभी भी भ्रष्टाचार का खेल निवर्तमान पार्षद जमकर कर रहे हैं। जिसमें सरकारी राजस्व को चूना लगाकर अपनी जेबें भर रहे हैं। वहीं कई वार्डो में यह भी चर्चा है कि इस तरह का गोरख धंधा अधिकतर बीजेपी के भ्रष्ट पार्षद कर रहे हैं। वहीं सैक्टर 22 निवासी बिजेंद्र ने बताया कि उन्होंने भी वार्ड 3 के पार्षद रविंद्र पर भी इसी तरह का गोलमोल करने का अंदेशा है, उनका कहना था कि मैं उनके दफ्तर में भी नवीन, नीरज,गौरव,विक्रम, अंकुर ,साहिल, जितेंद्र,सत्येंद्र नामक निगम के कर्मचारी अक्सर आते जाते देखें हैं।
जब इस मामले पर पूर्व सरपंच द्वारा बताए गए पूर्व निगम कर्मचारियों से फोन पर बात की गई तो उन्होंने संतोष जनक जवाब न देकर कहा कि पिछले दो महीना से उन्हें सैलरी नहीं मिली है। वे निगम पार्षद अनूप के साथ पिछले दो-तीन सालों से कार्य कर रहे हैं।
पुर्व सरपंच ने निगम कमिश्नर से मांग की है कि इस मामले की विजिलेंस से जांच करा कर भ्रष्टाचार में शामिल दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई कराई जाए। वहीं उन्होंने बताया कि विजिलेंस जांच में उनके सभी के मोबाइल नंबर की लोकेशन सहित पुरा विवरण अपनी जांच रिपोर्ट में रिकॉर्ड पर अवश्य लें। जिससे जांच रिपोर्ट में असली सच सबके सामने आ जाए।
जब इस बारे में निगम कमिश्नर डाक्टर नरहरि सिंह बांगड़ से फोन पर संपर्क किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका जिससे उनका पक्ष नहीं लिखा जा सका।